चम्बा जिले का संक्षिप्त इतिहास।
चम्बा रियासत की नींव राजा मेरु ने 550 ई में रखी और भरमौर कसबे को अपनी राजधानी बनाया।
साहिल वर्मन (920 ई -940 ई ) ने 930 ई राजकुमारी चम्पावती के नाम पर रावी नदी के किनारे चंपा नगर की स्थापना की जो बाद में चम्बा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। साहिल वर्मन ने इसे अपनी रजधानी बनाया।
चम्बा नगर में पानी की आपूर्ति के लिए रानी नैना देवी ने अपनी बलि दी थी। नैना देवी की याद में आज भी चम्बा में सुही मेला लगता है। जिसमे मुख्य रूप से महिलाएँ और बच्चे मनाते है। साहिल वर्मन के शासन काल में चाकली के नाम से प्रसिद्ध तांबे के सिक्के का चलन था।
गणेश वर्मन के पुत्र प्रताप वर्मन ने अपने नाम के आगे सिंह उपनाम जोड़ा और उसके बाद चम्बा के सभी राजा अपने नाम के साथ सिंह वर्मन लगाने लगे। प्रताप सिंह वर्मन के कार्यकाल में मुगल सम्राट अकबर का चम्बा पर अधिकार हो गया।
बलभद्रसिंह वर्मन ने अपने शासनकाल में लक्ष्मी नारायण मंदिर को अत्यधिक दान दिया जिससे राजकोष लगभग समापत हो गया जिसके कारण उसके पुत्र जनार्दन ने उसको गद्दी से उतार दिया और स्वयं राजा बन गया। जनार्दन के राज्य संभालते ही उसका नूरपुर के राजा सूरजमल के साथ युद्ध आरम्भ हो गया। जो 12 बर्षों तक चला।
सूरजमल के भाई जगत सिंह ने 1623 ई में चम्बा के शाही महल में जनार्दन की हत्या कर डाली। जनार्दन की मृत्यु के समय उसकी पत्नी गर्भवती थी। राजा जगत सिंह की आज्ञा के अनुसार रानी के बालक की हत्या होना तय हुआ पर रानी ने बालक के जन्म होते ही उसे मंडी पहुंचा दिया। बाद में मुगल सरकार ने पृथ्वी सिंह को चम्बा का शासक माना। और वर्मन उपनाम भी शासकों ने अपने नाम से हटा दिया। 1660 -1670 ई तक लाहौल ,चंद्र भागा घाटी और लदाख पर चम्बा का अधिकार रहा।
1809 ई में रणजीत सिंह ने चम्बा पर अपना अधिकार जमा लिया। श्री सिंह ने 1844 ई में चम्बा का राज्य संभाला। 1846 ई में चम्बा पर अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया। अंग्रेजों ने 1848 ई में चम्बा रियासत श्री सिह को दुबारा सौंप दी। इसके बदले में श्री सिंह ने 12 हजार अंग्रेजों को देना तय किया। राज्य की आर्थिक बदहाली को ठीक करने लिए पंजाब सरकार के अफसर मेजर बलेडर रेड 1 जनवरी 1863 को चम्बा आये। उन्होंने कुछ सुधार कार्यक्रमों से चम्बा राजकीय अर्थब्यवस्था ठीक किया।
गोपाल सिंह ने 1873 में फिर से राज्य के आर्थिक हालात खराब कर दिए। भूरि सिंह 1904 -1919 ई को अंग्रेजी सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया और 1908 में भूरि सिंह म्यूजियम की स्थापना की।
राजा लक्ष्मण सिंह 1935 -1948 के कार्यकाल में सन 1948 में चम्बा हिमाचल में शामिल हो गया।