Menu

Drop Down MenusCSS Drop Down MenuPure CSS Dropdown Menu

5 July 2017

जिला काँगड़ा का संक्षिप्त इतिहास।

जिला काँगड़ा कई रियासतों से मिलकर बना है। जो इस प्रकार से हैं :-

काँगड़ा रियासत -

यह हिमाचल की सबसे पुरानी रियासत है।  और इसका नाम जालंधर था। यह रियासत त्रिगर्त ,सुशर्मपुर ,नगरकोट ,भीमकोट आदि के नामों से भी जानी जाती है। इस रियासत की नींव भूमिचंद ने द्वापर युग में रखी। दूसरी शताब्दी में कुणिंद आदि शासकों ने काँगड़ा पर अधिकार किया। पांचवी शताब्दी में गुपतवंश का भी काँगड़ा पर शासन रहा। हर्षवर्धन ने भी 630 ई से 645 ई तक यहाँ शासन किया। 

1009 ई  में महमूद गजनवी ने काँगड़ा में लूटपाट की।

1384 -1360 ई में फिरोजशाह ने ज्वाला जी और काँगड़ा के मंदिरों में लूटपाट की वह यहाँ से बहुत​ से (~1300 ग्रन्थ) संस्कृत के ग्रन्थ ले गया और उसने उन्हें फारसी में अनुवादित किया। 1556 ई में यहाँ पर मुगल शासन आरम्भ हुआ। 1622 ई में यह दुर्ग जहांगीर ने अपने कब्जे में लिया। 1772 ई में यह रियासत मुगलों से अहमदशाह दुरानी के कब्जे में आ गई। संसारचंद ने भी काँगड़ा पर शासन किया। 1846 में सिखों को हरा कर अंग्रेजों ने काँगड़ा रियासत पर कब्जा किया।

गुलेर रियासत - 

इस की नींव काँगड़ा के राजा हरिचंद ने 1405 ई में रखी यहाँ पर मुख्यत राजसिंह ,प्रकाश सिंह ,भूपसिंह ,रणजीत सिंह, धर्मचंद और अंग्रेजों का शासन रहा।


जसवां रियासत -

इसकी नींव पूर्वचंद ने रखी। इसकी राजधानी राजपुरा थी। 1786 में राजा संसारचंद ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। 1809 में रणजीत सिंह ने जसवां पर कब्जा कर लिया।


सिब्बा रियासत -

इसकी स्थापना 1450 में सिबरन चंद ने की रणजीतसिंह ने सिब्बा को गुलेर से जीत कर इसे दो भागों में बाँट दिया उसने सिब्बा को गोविन्दसिह को और डाडा जागीर को देवीसिंह को दे दिया। 1874 को अंग्रेजों ने फिर से इनको मिलकर एक कर दिया।


दतारपुर रियासत -इसकी नींव सिब्बा रियासत के वंशज दतार चंद ने 1550 ई में रखी।  यहाँ के राजा को अंग्रेजों ने जसवां के राजा के साथ विद्रोह के आरोप में अल्मोड़ा भेज दिया।


नूरपुर रियासत -

इसकी स्थापना जीतपाल ने 1095 ई में की।  जगत सिंह ने इसका नाम धमेरी से बदल कर नूरजहां के नाम पर नूरपुर रखा।


कुटलहर रियासत की स्थापना जसपाल नामक एक ब्राह्मण युवक ने की थी।
1948 में काँगड़ा पंजाब का भाग था और 1966 में पुनर्गठन के समय काँगड़ा हिमाचल में मिल गया।


No comments:

Post a Comment

Do leave your comment.