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7 July 2020

हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध लोक गीत

हिमाचल प्रदेश के लोक गीत बहुत मधुर और आनंददायक हैं। इन लोक-गीतों का विषय सामान्य जीवन से लेकर इतिहास, धर्म, पुराण आदि सभी से संबंधित हो सकता है। परन्तु प्रायः गाए जाने वाले लोक-गीत प्रेम- वीर-गाथाओं, देव-स्तुतियों, ऋतु-प्रभात और सामाजिक बंधनों, सामाजिक उत्सवों आदि से सम्बन्धित हैं। हर्ष और वेदना दोनों की इनमें अनुभूति होती है। ये लोक-गीत एकल, युगल या सामूहिक रूप से गाए जाने वाले हैं। रचयिता कोई गायन विशेषज्ञ नहीं बल्कि ये किन्हीं सरस ह्रदय से निकली स्वच्छन्द लयात्मक आवाज है। किसी भी उत्सव, त्यौहार या मेले में गाते समय स्थानीय वाद्य यंत्रों का गायन के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

1. बिहाइयां:
हिमाचल प्रदेश में जन्म तथा विवाह सम्बन्धी लोक गीत अति प्रसिद्ध हैं। जन्म, नामकरण, मुण्डन आदि संस्कारों के समय गाए जाने वाले गीतों को ‘ बिहाइयां‘ कहते हैं।

2. सुहाग :
कन्या के विवाह के समय गाये जाने वाले लोक गीतों के ‘ सुहाग‘ कहते हैं।

3. घोड़ी:
विवाह की रस्म पूरी होने के बाद विदाई गीत गाये जाते हैं, इन रस्मो को कांगड़ा में घोड़ी कहा जाता है। विवाह सम्बन्धी कुछ अन्य गीतों को ‘ सेठणियां ‘ भी कहते हैं।

4. कुंजू-चंचलो:
हिमाचल में श्रृंगार रस के लोकगीतों का भी विशेष महत्त्व है। कुल्लू और कांगड़ा के प्रेम गीत कुंजू-चंचलो (Kunju-Chanchla) हिमाचल में उसी प्रकार से विख्यात हैं, जिस प्रकार हीर-रांझा के प्रेम गीत हैं। ये गीत प्रेम की प्रबल भावनाओं से ओतप्रोत हैं।

5. झुरी गीत:
सिरमौर के श्रृंगार रस से भरे झुरी गीत कोमल भावनाओं को प्रस्तुत करते हैं। झूरी पहाड़ी भाषा के झूर
शबद् का स्त्रीलिंग है जिसका अर्थ अनुभव करना होता है। वास्तव में ‘झुरी
गीत’ विरह गीत होते हैं। मण्डी में “सिराज की दासी” नामक लोकगीत प्रसिद्ध है जो की एक झुरी गीत है।

6. पिंगा दे गीत:
सावन के महीने में बिलासपुर में झूलों के गीत गाये जाते हैं तथा घर-घर में झूले डाले जाते हैं। इन झूलों के गीतों, को “पिंगा दे गीत” कहा जाता है।

7. छींजे:
छींजे हिमाचल का एक प्रसिद्ध ऋतु गीत है। चैत्रमास में वर्षा के आरम्भ होने पर यह गीत मण्डी के घर-घर में गूंज उठते हैं। छींजे चैत्र संक्रान्ति से लेकर मास के अन्त तक गाये जाते हैं।

8. युगल गीत:
गम्भरी, बालो तथा झंज्युटी आदि बिलासपुर के प्रसिद्ध लोक-गीत हैं। ये युवक-युवतियों के मध्य युगल गीत के रूप में गाए जाते है।

9. वीर पुरुषों की गाथा:
सिरमौर का “ हार” और बिलासपुर, कांगड़ा व मंडी का “झेड़ा” ऐसे लोक गीत हैं जिनमें वीर पुरुषों की गाथा का गायन किया जाता है।

10. समूह गान:
किन्नौर और लाहौल-स्पीति के अपने लोक-गीत हैं, जिनका अधिकतर रूप समूह गान में ही देखने को मिलता है।

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